पप्पू की पढ़ाई और धोनी की एडमिशन सुनने में भले ही यह अजीब लगे कि पप्पू की पढ़ाई से धोनी की एडमिशन का कोई संबंध है, पर देखें तो बहुत गहरा संबंध है। हमारे देश में धोनी भले ही एक हो, परंतु पप्पूओं की संख्या हजारों-लाखों में है। हर पप्पू का बस यही सपना है कि लोग चिल्लाकर कहेंगे कि पप्पू पास हो गया है। पर कमबख्त, शिक्षा विभाग के अड़ियल रवैये के कारण एक पप्पू तो पिछले कई दशकों से दसवीं पास करने में जुटा है और अन्य कर्ई पप्पूओं को रेग्यूलर स्कूल, काWलेज में एडमिशन लेने के लिए भागीरथी प्रयास करने पड़ रहे हैं। वहीं अपने धोनी को स्नातक बनाने के लिए काWलेज प्रशासन शिक्षा विभाग तमाम नियम-मसौदों में हेर-फेर करने की जुगत लड़ा रहा है। अब तो बात आपको भी लाWजिंग क्लियर हो गया होगा कि पप्पू की पढ़ाई से धोनी की एडमिशन का संबंध परमाणु करार मुíे पर एकजुट कांगzेस और सपा से भी ज्यादा है। इसलिए देश का हर पप्पू अब धोनी को अपना आदर्श मानता है। माने भी क्यूं न, धोनी से उन्हें प्रेरणा मिलती है, खेलने की। अब आप यह सोचने लग जाएगे कि बात तो पप्पू की पढ़ाई की हो रही थी, फिर खेलने की बात कहां से आ गई। अब बात आ ही गई है तो समझ भी लें। पप्पूओं को धोनी से पेzरणा मिली खेलने की, अगर सभी पप्पू, धोनी की तरह खेलेंगे तो, वो दमादम नाम कमाएंगे।
नाम कमाएंगे तो धन वर्षा भी होगी और वो स्टार आइकाWन भी बन जाएंगे। अपने देश की जनता और मीडिया को प्रेम ही क्रिकेट से है। ऐसे में जब वो हर ओर छा जाएंगे तो उन्हंे भी आसानी से एडमिशन मिल जाएगा और फिर जनता जर्नादन एक साथ चीखेगी, पप्पू पास हो गया। अब आई बात समझ में। अब ज्यादा होशियार बनकर यह मत सोचने लग जाइएगा कि जब सभी पप्पू, धोनी की तरह खेलेंगे तो धोनी कहां खेलेगा।
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