Wednesday, December 31, 2008
दस्विदानिया-२००८ dasvidaniya
नया वर्ष, नई उमंगे लेकर आया है। गत~ वर्ष की दुखदायी घटनाओं से भीगी पलकों को पोंछकर हम सब तैयार हैं नए वर्ष में नई खुशियों के सपने सजाने और उन्हें पूरा करने के लिए। इस कड़ी में हमें सदैव ध्यान रखना चाहिए कि परिवर्तन सृष्टि का अटल नियम है। जो आज है, वो कल नहीं था और न ही कल होगा। इसलिए अपने आज से बेहतर कल को बनाने के लिए जहां निरंतर परिश्रम की जरूरत हैं, वहीं नवीन चुनौतियों का सामना का सामना करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्म विश्वास की भी।
लेकिन इस सब के मध्य यह भी आवश्यक है कि हम बीते वर्ष ;बीत रहे वर्षद्ध की उन घटनाओं पर भी नजर डाले जिन्होंने हमारे मन-मस्तिष्क को झकझोरा। उस समय को याद कर अपनी मौन श्रद्धांजलि दंे, जब हमारा âदय दर्द से चीत्कार कर उठा था। उन पलों को पुन: भविष्य में जीने की आस रखे जब हमारा सिर गर्व से तन गया था। बीते वर्ष की इन्हीं भूली-बिसरी यादों को आपके सामने लेकर आए है दस्विदानिया-2008 में।
वैश्विक मंदी और धराशायी भारतीय शेयर बाजार: विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहलाने वाले अमेरिका में सब प्राइम संकट ऐसा भूचाल लाया कि सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं की चूले हिल गर्इं। वैश्विक मंदी के इस चक्रव्यूह का भेदन करने के प्रयास निरंतर जारी हंै। अमेरिका के सबसे बड़े और पुराने बैंक लेहमैन और मेरिल लिंच इस आर्थिक सुनामी की भेंट चढ़ गए।
इस आर्थिक मंदी के कारण कुलांचे मार रहा भारतीय शेयर बाजार भी बेदम हो गया। विदेशी निवेशकों के शेयर बाजार से हाथ खींचने के कारण बीएसई औंधे मुंह जमीन पर आ गिरा। पहले जहां सेंसेक्स के 25-27 हजार तक पहुंचने के कयास लगाए जा रहे थे, वहीं बाद में सेंसेक्स के पांच हजारी होने की बात होने लगी। रातो-रात अमीर होने की चाह रखने वालों को शेयर बाजार ने जोर का झटका दिया और करोड़ों रुपये शेयर बाजार में डूब गए।
पहले लगी, फिर बुझी तेल की आग: महंगाई को बढ़ाने-घटाने में कच्चा तेल भी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वर्ष 2008 में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में रिकाWर्ड वृद्धि और कमी हुई। कच्चे तेल के भाव वर्ष के मध्य में जहां 149 डाWलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे, वहीं वर्ष के अंत तक इनकी कीमतें मात्र 36 डाWलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गई।
महंगाई की मार: वर्ष 2008 में मुदzास्फीति दर दो अंकों में पहुंच गई और आम आदमी को महंगाई की मार सहनी पड़ी। मुदzास्फीति की दर के 12 प्रतिशत के पास पहुंचने से सरकार ने आनन-फानन में अनेक रियायती कदम उठाए। कच्चे तेल की घटती कीमतों ने सरकार का साथ दिया और दिसंबर माह में मुदzास्फीति 6-7 प्रतिशत के बीच आ गई।
सबसे बड़ा आतंकी हमला: माया नगरी कहलाने वाली मुंबई के लिए 26 नवंबर की रात खौफ की रात बनकर आई। आतंकवादियों ने पहली बार छुपकर वार करने की जगह खुल्लम-खुल्ला मंुबई में एक साथ कई स्थानों पर हमला किया और 200 से अधिक लोगों को मार डाला। 10 आतंकवादियों ने मुंबई के चर्चित स्थानों पर गोलाबारी की। ताज तथा ट्राइडेंट होटल तथा नरीमन प्वाइंट को अपने कब्जे में कर लिया जिसे मुक्त कराने में कमांडों को लगभग 60 घंटे लगे। इस आतंकवादी हमले के कारण गृहमंत्री शिवराज पाटिल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख तथा गृहमंत्री आर.आर.पाटिल को अपने-अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
संसद में नोट: वामदलों के केंदzीय सरकार से समर्थन लेने के बाद अल्प मत में आई यूपीए सरकार को सदन में विश्वास मत हासिल करना पड़ा। कुछ सांसदों ने सरकार पर उन्हें खरीदने का आरोप लगाया और सदन में नोटों के बंडल दिखलाए।
फैशन मंत्री: राजधानी दिल्ली में हुए बम धमाकों के बाद स्थिति का जायजा लेने पहुंचे गृहमंत्री शिवराज पाटिल द्वारा तीन-तीन बार ड्रेस बदलने के कारण मीडिया ने उनकी बहुत किरकिरी हुई।
मुंबई राज: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा मुंबई में उत्तर वासियों के विरूद्ध छेड़े गए आंदोलन की देश भर में जमकर आलोचना हुई।
दिल्ली में शीला की हैट्रिक: 4 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को कांगzेस ने गहरा झटका दिया। कांगzेस जहां शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में अपनी सत्ता को बचाने में कामयाब रही, वहीं राजस्थान में उसने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। मिजोरम में भी कांगzेस की वापिसी हुई। भाजपा की दिल्ली विधानसभा में परचम लहराने की तमाम कवायद खोखली साबित हुई। पार्टी की अपने वरिष्ठ सांसद विजय मल्होत्रा को दिल्ली विधानसभा चुनावों में सीएम इन वेटिंग का झंडा पकड़वाना भारी पड़ा। मल्होत्रा अपनी सीट तो बचा गए, परंतु पार्टी चुनावों में हार गई। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह अपनी-अपनी सरकार पुन: बनाने में कामयाब रहे। जम्मू-कश्मीर में कांगzेस-नैकां का गठबंधन हुआ।
नहीं आई नैनो: लोगों का लखटकिया कार पाने का सपना, सपना ही बनकर रह गया। पश्चिम बंगाल में तीवz विरोध के कारण रतन टाटा की नैनो इस वर्ष लाने की योजना अधर में लटक गई।
खत्म हुआ फैब फोर का युग: भारतीय क्रिकेट में फेवरेट फोर युग का अंत सौरभ गांगुली और अनिल कुंबले के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के साथ खत्म हो गया। गांगुली आईपीएल के 20-20 क्रिकेट मैचों में फिलहाल नजर आएंगे।
सचिन ने तोड़ा रिकाWर्ड: भारतीय क्रिकेट के गाWड कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर ने टेस्ट मैचांे में सबसे ज्यादा रन बनाने का श्रेय हासिल किया।
आईपीएल में छाया वाWर्न का जादू: स्पिन गेंदबाजी के जादूगर कहे जाने वाले शेन वाWर्न का जादू इंडियन प्रीमियर लीग में सबके सिर चढ़कर बोला। आयोजन में सबसे कमजोर टीम का नेतृत्व करने वाले शेन वाWर्न ने टीम की एकजुटता तथा अपने बेहतरीन प्रदर्शन से राजस्थान राWयल्स को आईपीएल का खिताब दिलवाया।
धोनी की धूम: भारतीय क्रिकेट जगत में महेंदz सिंह धोनी की धूम मची हुई है। धोनी वन-डे, टेस्ट तथा 20-20 मैचों में भारतीय टीम के कप्तान हैं।
लगा निशाना: चीन ओलंपिक भारत के लिए यादगार बना। ओलंपिक में निशानेबाज अभिनव बिंदzा ने पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता। वहीं बाWक्सिंग में विजेंदz तथा कुश्ती में सुशील कुमार ने कास्य पदक जीते।
कोसी में बाढ़: बिहार राज्य को कोसी में आई भीषण बाढ़ से जूझना पड़ा। बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया।
सीमा पर तनाव: पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के लिए पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दवाब बना हुआ है जिसके कारण सीमा पर सैन्य हलचल बढ़ गई है।
अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य
नेपाल में राजशाही की जगह लोकतंत्र: नेपाल में राजवंश का शासन समाप्त करके माओवादियों द्वारा लोकतांत्रिक ढंग से सरकार बनाई।
पाकिस्तान में जरदारी राष्ट्रपति: परवेश मुशर्रफ के स्थान पर स्व. बेनजीर भुट~टो के पति आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति बने।
बराक ओबामा: अमेरिकी इतिहास में एक नया अध्याय बराक ओबामा ने जोड़ दिया है। ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति हैं।
परमाणु करार: भारत तथा अमेरिका के मध्य होने वाला 123 परमाणु करार अंतत: सिरे चढ़ ही गया। हालांकि इस करार को लेकर विपक्षी दलों की अपनी आशंकाएं है। उनका मानना है कि इस करार से भारत को कई प्रतिबंध लग सकते हंै।
बुश पर जूता फेंका: अमेरिकी राष्ट्रपति जाWर्ज बुश पर इराक में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान जूते फैंके गए। जूते फैंकने वाले इराकी शख्स के जूतों की कीमत करोड़ों में लगाई जा रही है।
महाप्रयोग: जिनेवा में वैज्ञानिकों ने एक महाप्रयोग कर बzãांड के रहस्यों को सुलझाने की पहल की। इस प्रयोग के तहत लगभग 27 किलोमीटर लंबी एक सुरंग जमीन के नीचे बनाई गई। इस महाप्रयोग से पृथ्वी के नष्ट हो जाने के कयास लगाए गए।
एलियन: परगzही यानि एलियन के अस्तित्व को लेकर पूरे वर्ष ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया सक्रिय रहा।
लेकिन इस सब के मध्य यह भी आवश्यक है कि हम बीते वर्ष ;बीत रहे वर्षद्ध की उन घटनाओं पर भी नजर डाले जिन्होंने हमारे मन-मस्तिष्क को झकझोरा। उस समय को याद कर अपनी मौन श्रद्धांजलि दंे, जब हमारा âदय दर्द से चीत्कार कर उठा था। उन पलों को पुन: भविष्य में जीने की आस रखे जब हमारा सिर गर्व से तन गया था। बीते वर्ष की इन्हीं भूली-बिसरी यादों को आपके सामने लेकर आए है दस्विदानिया-2008 में।
वैश्विक मंदी और धराशायी भारतीय शेयर बाजार: विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहलाने वाले अमेरिका में सब प्राइम संकट ऐसा भूचाल लाया कि सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं की चूले हिल गर्इं। वैश्विक मंदी के इस चक्रव्यूह का भेदन करने के प्रयास निरंतर जारी हंै। अमेरिका के सबसे बड़े और पुराने बैंक लेहमैन और मेरिल लिंच इस आर्थिक सुनामी की भेंट चढ़ गए।
इस आर्थिक मंदी के कारण कुलांचे मार रहा भारतीय शेयर बाजार भी बेदम हो गया। विदेशी निवेशकों के शेयर बाजार से हाथ खींचने के कारण बीएसई औंधे मुंह जमीन पर आ गिरा। पहले जहां सेंसेक्स के 25-27 हजार तक पहुंचने के कयास लगाए जा रहे थे, वहीं बाद में सेंसेक्स के पांच हजारी होने की बात होने लगी। रातो-रात अमीर होने की चाह रखने वालों को शेयर बाजार ने जोर का झटका दिया और करोड़ों रुपये शेयर बाजार में डूब गए।
पहले लगी, फिर बुझी तेल की आग: महंगाई को बढ़ाने-घटाने में कच्चा तेल भी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वर्ष 2008 में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में रिकाWर्ड वृद्धि और कमी हुई। कच्चे तेल के भाव वर्ष के मध्य में जहां 149 डाWलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे, वहीं वर्ष के अंत तक इनकी कीमतें मात्र 36 डाWलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गई।
महंगाई की मार: वर्ष 2008 में मुदzास्फीति दर दो अंकों में पहुंच गई और आम आदमी को महंगाई की मार सहनी पड़ी। मुदzास्फीति की दर के 12 प्रतिशत के पास पहुंचने से सरकार ने आनन-फानन में अनेक रियायती कदम उठाए। कच्चे तेल की घटती कीमतों ने सरकार का साथ दिया और दिसंबर माह में मुदzास्फीति 6-7 प्रतिशत के बीच आ गई।
सबसे बड़ा आतंकी हमला: माया नगरी कहलाने वाली मुंबई के लिए 26 नवंबर की रात खौफ की रात बनकर आई। आतंकवादियों ने पहली बार छुपकर वार करने की जगह खुल्लम-खुल्ला मंुबई में एक साथ कई स्थानों पर हमला किया और 200 से अधिक लोगों को मार डाला। 10 आतंकवादियों ने मुंबई के चर्चित स्थानों पर गोलाबारी की। ताज तथा ट्राइडेंट होटल तथा नरीमन प्वाइंट को अपने कब्जे में कर लिया जिसे मुक्त कराने में कमांडों को लगभग 60 घंटे लगे। इस आतंकवादी हमले के कारण गृहमंत्री शिवराज पाटिल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख तथा गृहमंत्री आर.आर.पाटिल को अपने-अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
संसद में नोट: वामदलों के केंदzीय सरकार से समर्थन लेने के बाद अल्प मत में आई यूपीए सरकार को सदन में विश्वास मत हासिल करना पड़ा। कुछ सांसदों ने सरकार पर उन्हें खरीदने का आरोप लगाया और सदन में नोटों के बंडल दिखलाए।
फैशन मंत्री: राजधानी दिल्ली में हुए बम धमाकों के बाद स्थिति का जायजा लेने पहुंचे गृहमंत्री शिवराज पाटिल द्वारा तीन-तीन बार ड्रेस बदलने के कारण मीडिया ने उनकी बहुत किरकिरी हुई।
मुंबई राज: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा मुंबई में उत्तर वासियों के विरूद्ध छेड़े गए आंदोलन की देश भर में जमकर आलोचना हुई।
दिल्ली में शीला की हैट्रिक: 4 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को कांगzेस ने गहरा झटका दिया। कांगzेस जहां शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में अपनी सत्ता को बचाने में कामयाब रही, वहीं राजस्थान में उसने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। मिजोरम में भी कांगzेस की वापिसी हुई। भाजपा की दिल्ली विधानसभा में परचम लहराने की तमाम कवायद खोखली साबित हुई। पार्टी की अपने वरिष्ठ सांसद विजय मल्होत्रा को दिल्ली विधानसभा चुनावों में सीएम इन वेटिंग का झंडा पकड़वाना भारी पड़ा। मल्होत्रा अपनी सीट तो बचा गए, परंतु पार्टी चुनावों में हार गई। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह अपनी-अपनी सरकार पुन: बनाने में कामयाब रहे। जम्मू-कश्मीर में कांगzेस-नैकां का गठबंधन हुआ।
नहीं आई नैनो: लोगों का लखटकिया कार पाने का सपना, सपना ही बनकर रह गया। पश्चिम बंगाल में तीवz विरोध के कारण रतन टाटा की नैनो इस वर्ष लाने की योजना अधर में लटक गई।
खत्म हुआ फैब फोर का युग: भारतीय क्रिकेट में फेवरेट फोर युग का अंत सौरभ गांगुली और अनिल कुंबले के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के साथ खत्म हो गया। गांगुली आईपीएल के 20-20 क्रिकेट मैचों में फिलहाल नजर आएंगे।
सचिन ने तोड़ा रिकाWर्ड: भारतीय क्रिकेट के गाWड कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर ने टेस्ट मैचांे में सबसे ज्यादा रन बनाने का श्रेय हासिल किया।
आईपीएल में छाया वाWर्न का जादू: स्पिन गेंदबाजी के जादूगर कहे जाने वाले शेन वाWर्न का जादू इंडियन प्रीमियर लीग में सबके सिर चढ़कर बोला। आयोजन में सबसे कमजोर टीम का नेतृत्व करने वाले शेन वाWर्न ने टीम की एकजुटता तथा अपने बेहतरीन प्रदर्शन से राजस्थान राWयल्स को आईपीएल का खिताब दिलवाया।
धोनी की धूम: भारतीय क्रिकेट जगत में महेंदz सिंह धोनी की धूम मची हुई है। धोनी वन-डे, टेस्ट तथा 20-20 मैचों में भारतीय टीम के कप्तान हैं।
लगा निशाना: चीन ओलंपिक भारत के लिए यादगार बना। ओलंपिक में निशानेबाज अभिनव बिंदzा ने पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता। वहीं बाWक्सिंग में विजेंदz तथा कुश्ती में सुशील कुमार ने कास्य पदक जीते।
कोसी में बाढ़: बिहार राज्य को कोसी में आई भीषण बाढ़ से जूझना पड़ा। बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया।
सीमा पर तनाव: पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के लिए पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दवाब बना हुआ है जिसके कारण सीमा पर सैन्य हलचल बढ़ गई है।
अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य
नेपाल में राजशाही की जगह लोकतंत्र: नेपाल में राजवंश का शासन समाप्त करके माओवादियों द्वारा लोकतांत्रिक ढंग से सरकार बनाई।
पाकिस्तान में जरदारी राष्ट्रपति: परवेश मुशर्रफ के स्थान पर स्व. बेनजीर भुट~टो के पति आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति बने।
बराक ओबामा: अमेरिकी इतिहास में एक नया अध्याय बराक ओबामा ने जोड़ दिया है। ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति हैं।
परमाणु करार: भारत तथा अमेरिका के मध्य होने वाला 123 परमाणु करार अंतत: सिरे चढ़ ही गया। हालांकि इस करार को लेकर विपक्षी दलों की अपनी आशंकाएं है। उनका मानना है कि इस करार से भारत को कई प्रतिबंध लग सकते हंै।
बुश पर जूता फेंका: अमेरिकी राष्ट्रपति जाWर्ज बुश पर इराक में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान जूते फैंके गए। जूते फैंकने वाले इराकी शख्स के जूतों की कीमत करोड़ों में लगाई जा रही है।
महाप्रयोग: जिनेवा में वैज्ञानिकों ने एक महाप्रयोग कर बzãांड के रहस्यों को सुलझाने की पहल की। इस प्रयोग के तहत लगभग 27 किलोमीटर लंबी एक सुरंग जमीन के नीचे बनाई गई। इस महाप्रयोग से पृथ्वी के नष्ट हो जाने के कयास लगाए गए।
एलियन: परगzही यानि एलियन के अस्तित्व को लेकर पूरे वर्ष ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया सक्रिय रहा।
Wednesday, December 24, 2008
जूता महात्मय
अभी तक तो हम इस गलफत में थे कि मात्र अपने ही देश में जूते को तव्ज्जों दी जाती है, परंतु अब जाकर पता चला कि संपूर्ण विश्व ही जूतामय है। संपूर्ण विश्व जूते में है और जूता विश्व में। जूता वास्तविकता में ग्लोबल है।
जूतों की सर्वव्यापक महत्ता को जानकर अब मजनूओं, कविया ेंऔर नेताओं के प्रति आगाध श्रद्धा का भाव उत्पन्न हो जाता है, जो अक्सर जूतों का रसास्वादन करते रहते हैं। पहले जिन्हें तुच्छ समझता था, अब उनकी अहमियत का पता चलता है।
आदिकाल से लेकर आधुनिककाल तक के साहित्य पर नजर दौड़ाने पर एक भी ऐसा उच्चकोटि का साहित्यकार नहीं मिलता, जिसने जूते के महत्व को जानकर उसके गुणों का बखान किया हो।
प्रेमिकाओं के नख-शिख सौंदर्य का ही वर्णन करके चुक जाने वाले साहित्यकार कभी-भी जूते में निहित सौंदर्य और उसके बहु आयामी उपयोग को समझ ही नहीं पाए। वो तो जूते को पांव की जूती ही समझते रह गए।
भला हो बुश साहब का जो अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के अंतिम दिनों में जूते को महत्व दिलवा गए वर्ना अमेरिकी हवाई अड~डों पर अपने कपड़े-जूते सब कुछ उतार देने वाले लोग तो इस अहमियत से अछूते ही रहे।
यह बुश साहब की ही करामात है जिनके चाहने या न चाहने पर भी आर्थिक मंदी के महादौर में संपूर्ण विश्व को पता चल गया कि एक जूता आदमी को करोड़पति भी बना सकता है। अब तो यह लगने लगा है कि मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोज आग या पहिया को न मानकर जूते को ही माननी चाहिए। जूते जब चाहें पहनों और जब चाहों चलाओ। देखा जाए तो जूता जहां पैरों के लिए ढाल है, तो वहीं यह मिसाइल बनकर दूर तक वार करने में भी सक्षम हैं। हां, इतना अवश्य है कि जूते की मारक क्षमता और तय दूरी फैंकने वाले की हिम्मत और शारीरिक ताकत पर ही निर्भर है। चूंकि अब तक जूतों को त्याज्य मानकर उन पर कोई सटीक अनुसंधान नहीं हुआ इसलिए उन पर कोई ऐसी दिशानिर्देशक चिप लगाने की व्यवस्था नहीं हो सकी जिससे वो ठीक निशाने पर लगे। उम्मीद की जा सकती है कि शीघz ही इस पर भी गहन अनुसंधान होगा और बाजारों में ऐसे जूते मिलने लगेंगे।
वर्तमान की घटनाओं को देखते हुए बोर्ड की परीक्षाओं में जुटे बच्चों को भी जूते की उपयोगिता के संदर्भ में अपनी जानकारी को परिपक्व करना चाहिए, ताकि परीक्षा में इस प्रकार कोई निबंध लिखने को मिलता है तो उन्हें परेशानी न हो।
जूतों की सर्वव्यापक महत्ता को जानकर अब मजनूओं, कविया ेंऔर नेताओं के प्रति आगाध श्रद्धा का भाव उत्पन्न हो जाता है, जो अक्सर जूतों का रसास्वादन करते रहते हैं। पहले जिन्हें तुच्छ समझता था, अब उनकी अहमियत का पता चलता है।
आदिकाल से लेकर आधुनिककाल तक के साहित्य पर नजर दौड़ाने पर एक भी ऐसा उच्चकोटि का साहित्यकार नहीं मिलता, जिसने जूते के महत्व को जानकर उसके गुणों का बखान किया हो।
प्रेमिकाओं के नख-शिख सौंदर्य का ही वर्णन करके चुक जाने वाले साहित्यकार कभी-भी जूते में निहित सौंदर्य और उसके बहु आयामी उपयोग को समझ ही नहीं पाए। वो तो जूते को पांव की जूती ही समझते रह गए।
भला हो बुश साहब का जो अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के अंतिम दिनों में जूते को महत्व दिलवा गए वर्ना अमेरिकी हवाई अड~डों पर अपने कपड़े-जूते सब कुछ उतार देने वाले लोग तो इस अहमियत से अछूते ही रहे।
यह बुश साहब की ही करामात है जिनके चाहने या न चाहने पर भी आर्थिक मंदी के महादौर में संपूर्ण विश्व को पता चल गया कि एक जूता आदमी को करोड़पति भी बना सकता है। अब तो यह लगने लगा है कि मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोज आग या पहिया को न मानकर जूते को ही माननी चाहिए। जूते जब चाहें पहनों और जब चाहों चलाओ। देखा जाए तो जूता जहां पैरों के लिए ढाल है, तो वहीं यह मिसाइल बनकर दूर तक वार करने में भी सक्षम हैं। हां, इतना अवश्य है कि जूते की मारक क्षमता और तय दूरी फैंकने वाले की हिम्मत और शारीरिक ताकत पर ही निर्भर है। चूंकि अब तक जूतों को त्याज्य मानकर उन पर कोई सटीक अनुसंधान नहीं हुआ इसलिए उन पर कोई ऐसी दिशानिर्देशक चिप लगाने की व्यवस्था नहीं हो सकी जिससे वो ठीक निशाने पर लगे। उम्मीद की जा सकती है कि शीघz ही इस पर भी गहन अनुसंधान होगा और बाजारों में ऐसे जूते मिलने लगेंगे।
वर्तमान की घटनाओं को देखते हुए बोर्ड की परीक्षाओं में जुटे बच्चों को भी जूते की उपयोगिता के संदर्भ में अपनी जानकारी को परिपक्व करना चाहिए, ताकि परीक्षा में इस प्रकार कोई निबंध लिखने को मिलता है तो उन्हें परेशानी न हो।
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